बस खाली खाली सा
वक्त ही वक्त है
जो लिखके-पढके भी
कटता नहीं हैं
यूं तो
भरी पडी है
यादों की गुल्लक
पर कितना भी हिलाओ
पहले सी मधुर
अब बजती नहीं है.
ओर रहेता है डर,
कहीं वह तूट जाएं तो..?
-“शर्मिष्ठाशब्दकलरव”

बस खाली खाली सा
वक्त ही वक्त है
जो लिखके-पढके भी
कटता नहीं हैं
यूं तो
भरी पडी है
यादों की गुल्लक
पर कितना भी हिलाओ
पहले सी मधुर
अब बजती नहीं है.
ओर रहेता है डर,
कहीं वह तूट जाएं तो..?
-“शर्मिष्ठाशब्दकलरव”
Beautiful! Well penned👌👌
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Thank you so much 🌷🌹
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